RANGO KI HOLI (Hindi me)

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    हिन्दू धर्म में होली का एक स्वतंत्र स्तान हे। हर साल मार्च में बसंत का आने से होली का तैयारियां सुरु हो जाता हे। पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा में होली  बसंतुष्टाव के नाम से नामित हे। देशभर में ये त्यौहार मनाया जाता हे।  हिन्दुओ का त्यौहार होने के बाबजूद हेर धर्म के लोग ऐसे मानते हे। चौथे सताब्दी का महान कबि कालिदास के कबिता में रंगो का वर्णन हे। द्वापर युग में राधा कृष्णा के रंग पिचकारी को आज भी यद् किया जाता हे। 

 पहले समाय में प्राकृतिक रंगो का इस्तेमाल किआ जाता था पैर आजकल हानिकर केमिकल रंगो का इस्तेमाल होता हे। ये देखने में उज्वल और सुन्दर हे पैर शरीर और प्रकृति के लिए हानिकारक हे। 
आजकल बाजार में चार प्रकार के रंग मिलते हे। 
१-गुलाल, २ -सूखा रंग (लाल,पीला,बैंगनी ,ब्लू ),
३ -रंगीन पेस्ट और गम ,४- पानी में घोलने बाले रंग  
गुलाल ज्यादातर फाइन रेट और अस्बेस्ट  के पाउडर से बनता हे। बाकि तीनो हैवी मेटल जैसे कैडमियम,क्रोमियम, लोहा,शीसा,पारद,दस्ता और जिंक का जारक। रंग के उज्वल केलिए सीसा और अभ्रा का पाउडर मिलाया जाता हे। 

  राधा कृष्णा के यद् में प्रेमी श्रद्धा पूर्वक दूसरे के ऊपर रंग लगते हे।  पैर ये केमिकल रंग लगाने के बाद स्किन में खुजली , एलर्जी रिएक्शन , लाल होना ,बल झड़ना , ऑय इन्फेक्शन जैसे लक्ष्यन आते हे। 

केमिकल रंग कैसे बनता हे ? येसब हमारे शरीर में क्या असर  डालते हे ?

कला रंग- यह बनता है शीसा और अम्लजन के मिश्रण से। शीसा एक हैवी मेटल हे। ये आदमी को नपुंसक, स्नायुबक  रोग देता हे।  प्रेग्नेंट वीमेन को ज्यादा खतरा हे। 
लाल रंग-  पारद और गंधक मिश्रित योगिक हे।  इस से वास् फूलना , खासी, सिने में जलन , जाकृत में खराबी होते हे। 
हरा रंग-  ताम्बा और गन्धकाम्ल का मिश्रित योगिक हे। ये अंको में लगने से आंखे लाल ,जलन , एलर्जी रिएक्शन हो जाता हे। 
बैंगनी रंग-  ये क्रोमियम और आयोडीन का योगिक हे।  ये सांसो me andar jakar  अस्थमा बीमारी का कारन  बनता हे। 
गढ़ नीला रंग - ये लोहा और अम्लजन के मिश्रित योगिक हे। ये स्किन इन्फेक्शन करता हे। 
सफ़ेद रंग - ये अल्लुमिनियम और ब्रोमीन का मिश्रण हे।  ये सबसे खतनाक रंग हे। ये रंग स्किन कैंसर  का करन बनता  हे। 

  हमारे पूर्वजो प्रकृतिक रंगो से होली खेला करते थे। वे मेहँदी,गेंदा फूल,सूखा पता, हल्दी,इंडिगो निल,कथा,बिट , अमला,अंगूर अदि प्रकृतिक पदार्थो का इस्तेमाल करते थे। आज भी बृन्दाबन में प्रकृतिक रंग का ब्यबहार होता हे। 
केमिकल रंग ज्यादातर चीन से इम्पोर्ट होता हे। 
आइये हमसब मिलके नेचुरल रंग का ब्यबहार करे और केमिकल से खुद को और आपने पारबर को दूर रखे। 
होली के ढेरो सरे  सुवःकामना।    

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